06 July 2007

चाह

चाह की कोई सीमा नहीं होती,
चाहते कितनी भी हो सकती हैं।
मन जब मचलता हैं
तो चाहतें जन्म लेती हैं,
पर सच्ची चाहत का जन्म
बिना शर्त होता हैं,
किसी की कमियों को
साथ लिए
उसे चाहना ही
सच्चा प्यार हैं।

ज़िन्दगी एक बार
मिलती हैं,
अपने खेल खेलती हैं,
हर रोज़ नयी कहानी
जन्म लेती हैं,
इसमें कोई भी
मन सा कभी भी
मिल सकता हैं,
और कभी मन सा
बनाना पड़ता हैं।

सच्ची चाहत को
बयाँ करना आसान नही हैं,
आसान हैं उसे महसूस करना
ग़र ज़िंदगी देती हैं ये मौका।

कभी लंबे साथ भी अधूरे रहते हैं
कभी कुछ पल के साथ हमेशा रहते हैं...