17 August 2007

तस्वीर

चित्रकार जब देखता हैं
सुने से कैनवास को
तो उडेल देता हैं
रंग सारे
अपनी पेलेट के
और बना देता हैं
एक तस्वीर,
अपने अन्दर की
अपने बाहर की ,
जो कितनी खूबसूरत
दिखाती हैं
सतरंगी सी

एक हैं ये लिखने वाले
जो मन की
एक सियाही से
लिखते हैं,
अपने अन्दर की
अपने बाहर की
और खीच देते हैं
सिर्फ शब्दों से
एक तस्वीर
कुछ कही सी
कुछ अनकही सी

3 comments:

Sharma ,Amit said...

बहुत सुंदर! बहुत सहज शब्दों में बहुत अच्छी तुलना की है आप ने !

Udan Tashtari said...

यह भी अच्छी तस्वीर खींची आपने, बधाई..

राहुल यादव said...

bahut achchha