25 May 2007

सपना

रात फिर आयी
एक
मीठी याद की तरह,
छेड़ गयी तारों को
जो उल्झाये थे संग किसी के।

आज हमने फिर एक सपना देखा

२८-२-1995

1 comment:

Anonymous said...

सपने
पुरे हो जायें तो अपने
नहीं तो सपने