चित्रकार जब देखता हैं
सुने से कैनवास को
तो उडेल देता हैं
रंग सारे
अपनी पेलेट के
और बना देता हैं
एक तस्वीर,
अपने अन्दर की
अपने बाहर की ,
जो कितनी खूबसूरत
दिखाती हैं
सतरंगी सी
एक हैं ये लिखने वाले
जो मन की
एक सियाही से
लिखते हैं,
अपने अन्दर की
अपने बाहर की
और खीच देते हैं
सिर्फ शब्दों से
एक तस्वीर
कुछ कही सी
कुछ अनकही सी
3 comments:
बहुत सुंदर! बहुत सहज शब्दों में बहुत अच्छी तुलना की है आप ने !
यह भी अच्छी तस्वीर खींची आपने, बधाई..
bahut achchha
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