27 May 2007

फ़ासले

दूरियाँ और नजदीकियां
फ़ासलों के ही नाम है।
जब ये ज्यादा होता है
तो दूरियाँ बनता है,
और कम होता है
तो नजदीकियां।
ये फ़ासले भी कितने अजीब होते है
कहने को एक है,
पर रिश्ते दो - दो होते है।
March 2001

3 comments:

सुनीता शानू said...

यतिश बहुत अच्छा लिखते है आप...
बिलकुल सरल और सटिक भाषा...

ये फ़ासले भी कितने अजीब होते है
कहने को एक है,
पर रिश्ते दो - दो होते है।
सुनीता(शानू)

Anonymous said...

remarkable..

Sharma ,Amit said...

Shaandaar sir..