18 June 2007

सांझे गम

कूलर पानी लेता हैं
ठंडक देता हैं,
AC पानी छोड़ता हैं
ठंडक देता हैं,
दोनो का ही काम
ठंडक देना हैं
एक का लेकर;
दूसरे का देकर;
'पानी'

गम भी कुछ
इसी तरह हैं,
कुछ गम लेने से
ठंडक मिलती हैं
कुछ बांटने से।
दोनो ही सूरत
सुकून देती हैं
यही होते हैं
"सांझे गम"

11 June 2007

पहेली

ज़िंदगी कहते हैं तू पहेली हैं,
वक़्त की आंख मिचोली हैं।

हरेक दिन रचती हैं नये खेल,
फिर भी सुख दुःख की सहेली हैं।

रोज़ होती हैं तू परत दर परत पुरानी,
फिर भी लगती तू नयी नवेली हैं।

कितने वाकये जुडते हैं इसमें नए,
फिर भी यादों की तू हवेली हैं।

ज़िंदगी कहते हैं तू पहेली हैं...

2004

02 June 2007

आओ कुछ रंग बांटे

शब्दों मै भी तो रंग होते हैं,
या कहें हर शब्द एक रंग का नाम हैं,
तभी तो गीत, कहानी, ग़ज़ल, कविता
कितने रंग लिए होते हैं अपने आप में।

सभी रंग दिखाई नही देते;
महसूस भी किये जाते हैं,
सुख-दुःख, ख़ुशी-गम
और ना जाने कितने...

ये रंग ही तो हैं
जिनसे ज़िन्दगी चलती हैं,
ये ना हों
तो कुछ भी नहीं।

आओ रंग बांटे,
आओ संग बांटे,
खुशियाँ तो बहुत बाँटी हैं,
आओ कुछ गम बांटे...
10/03/2001